क्या हकीक़त क्या फसाना...
हकीकत है या फसाना
सच है या एक जमाना
किस्मत है या हर्जाना
दिलों का लगाना
रूह में बसाना
जरा सी बात पर तुनक जाना
दोस्ती की खातिर
जज्बातों को समझाना
क्या हकीक़त क्या फसाना
कहां जमाने ने जाना
आज यहीं रुक जाना
कल कहीं और मिल जाना
फिर से एक कविता का बन जाना
जैसे खुले आसमान में पंछियों का उड़ जाना
यह भी अब हकीकत नहीं है
अब आसमां भी खुला नहीं है
अब पंछी कहां फड़फड़ाते हैं
देखो आसमान में एरोप्लेन उड़ते जाते हैं।।
लेखिका - कंचन सिंगला
लेखनी प्रतियोगिता -18-Dec-2021
Shrishti pandey
19-Dec-2021 03:45 PM
Nice
Reply
Swati chourasia
19-Dec-2021 08:28 AM
Very beautiful 👌
Reply
Abhinav ji
19-Dec-2021 12:06 AM
Nice
Reply